2024-11-02 21:52:32 ( खबरवाले व्यूरो )
चंडीगढ़: पंजाब देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां राजधानी चंडीगढ़ के निवासियों को रोजगार, राज्य सरकार की योजनाओं के लाभ आदि मामलों में गंभीर नुकसान उठाना पड़ता है, जो पंजाब राज्य के अन्य निवासियों को उपलब्ध है। इसका कानूनी कारण यह है कि चंडीगढ़ एक नवंबर 1966 से पंजाब राज्य का हिस्सा नहीं रहा है। यह बात पूर्व आईएएस अधिकारी डा जगमोहन सिंह राजू ने सेक्टर 27 स्थित चंडीगढ़ प्रेस कल्ब में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन के दोरान कही।
पंजाब सरकार ने डा राजू की आरटीआई अर्जी के जवाब में इस कानूनी स्थिति की पुष्टि की है। भगवंत मान सरकार ने डा राजू को स्पष्ट रुप से सूचित किया है कि पंजाब सरकार द्वारा चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी घोषित करने संबंधी कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है और उनके पास ऐसा कोई अधिकारिक रिकार्ड उपलब्ध नहीं है जो साफ करता हो कि चंडीगढ़ ही चंडीगढ़ की राजधानी है।
अपने संबोधन में डा राजू ने कहा कि इस समस्या का मूल कारण 1966 में कांग्रेस सरकार द्वारा लागू किया गया भेदभावपूर्ण कानून है। उदाहरण पेश करते हुए कहा कि 2014 में कांग्रेस सरकार द्वारा लागू किये आंध्र प्रदेश पुनर्गठन मे यह स्पष्ट रूप से प्रावधान दिया गया था कि हैदराबाद दस साल के लिये तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों की आम राजधानी होगी और उसके बाद आंध्र प्रदेश के लिये एक नई राजधानी होगी। लेकिन पुनर्गठन अधिनियम 1966 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पंजाब राज्य के लिये राजधानी का कोई प्रावधान ही नहीं किया। इसके बजाय अधिनियम कहता है कि चंडीगढ़ पंजाब राज्य का हिस्सा नहीं रहेगा। डा राजू ने कहा कि 25 जुलाई 2024 को उन्होंनें पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह (राजा वारिंग) को सार्वजनिक बहस के लिये आमंत्रित किया था। परन्तु एक अगरूत 2024 को वह बहस छोड़ कर भाग निकले।
डा राजू ने एक अप्रैल 2022 के विधान सभा में पारित प्रस्ताव को महज एक तमाशा बताया। इस प्रस्ताव में सिफारिश की गई थी कि राज्य सरकार चंडीगढ़ को तुरन्त पंजाब को ट्रांसफर करने के लिये केन्द्र सरकार के समक्ष मामला उठाये। लेकिन आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी से पता चला है कि भगवंत मान सरकार ने एक अप्रैल 2022 को भारत सरकार को एक नियमित पत्र लिखकर महज एक दिखावा किया है। इस पत्राचार के बाद कोई फोलो अप कार्यवाही नहीं की गई। न तो कोई मुख्यमंत्री ने इसके बाद आज तक यह फाईल दोबारा मंगवाई और न ही कोई रिमांडर जारी किया।
डा राजू ने हैरानी जताई कि पंजाब विधानसभा में उस प्रस्ताव पारी पारित करने के बाद इतने सारे सत्र आयोजित हुये लेकिन न तो सदन के अध्यक्ष, न ही हाउस समीतियों के अध्यक्षों ने सरकार से कोई भी कार्यवाही की रिपोर्ट मांगी है। यह तक कि सत्तारुढ़ आप पार्टी के 92 विधायक और मुख्य विपक्षी कांग्रेसी विधायक भी पूरी तरह से शांत हैं। इससे स्पष्ट हो गया है कि बड़े पैमाने पर आम जनता की कीमत पर पंजाब के मुद्दे पर लोगों को धोखा देने में यह पार्टियां एक दूसरे का साथ दे रही हैं।
डा राजू ने एक बार फिर पुरजोर मांग की है कि पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ दर्जा मिले जिससे की शहर के लोगों को ओर ज्यादा खमियाजा ने भुगतना पड़े।