2024-09-09 19:58:57 ( खबरवाले व्यूरो )
: भारत
जैसे-जैसे टेकेड (तकनीक का दशक) में तेजी से आगे बढ़ रहा है, एक पहल
के रूप में अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) वैश्विक विज्ञान के
अग्रणी देशों के बीच भारत के स्थान को मजबूती देने के लिए तैयार है। ‘टेकेड’ शब्द
की रचना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गहन तकनीकी उन्नति के एक दशक को
दर्शाने के लिए की थी। जय जवान, जय
किसान और अटल बिहारी
वाजपेयी के जय विज्ञान के नारे को जय अनुसंधान से जोड़ते हुए अपने
ऐतिहासिक संबोधन में, पीएम मोदी ने वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास के
एक नए युग का आह्वान किया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 2047 तक विकसित
भारत बनने की भारत की महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाने के लिए यह रणनीतिक कदम,
पीएम मोदी द्वारा भारत को ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के महत्व को रेखांकित करता
है।
भारत की
वैज्ञानिक क्षमता सदियों पुरानी है, आर्यभट्ट के नवाचारों और
भास्कराचार्य की गणितीय प्रतिभा से लेकर सी.वी. रमन और सत्येंद्र नाथ बोस की
आधुनिक सफलताओं तक। हालाँकि, एएनआरएफ की स्थापना उस विरासत का विस्तार
मात्र नहीं है; यह परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो
विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुसंधान को असत्य तथा महत्वाकांक्षा और कल्पना की सीमाओं
के चंगुल से बचाने का प्रयास करता है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी
और नवाचार को राष्ट्रीय नीति के मूल में रखकर, एएनआरएफ पीएम
मोदी के व्यापक प्रयासों के अनुरूप है तथा उनके आत्मनिर्भर भारत, डिजिटल
इंडिया और मेक इन इंडिया पहलों के विज़न को समाहित करता है।
भारत
में जिस एएनआरएफ की परिकल्पना की गई है, वह
संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (एनएसएफ) जैसी
संस्थाओं से आगे की बात करता है। एनएसएफ की सफलता एक ऐसे इकोसिस्टम के माध्यम से
वित्त पोषण करने में निहित है, जो शिक्षा, उद्योग
जगत और सरकार के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है, जबकि एएनआरएफ एक
ऐसा मंच बनने की आकांक्षा रखता है, जो न केवल वैज्ञानिक परीक्षण में विस्तार करता
है, बल्कि यह भारतीय मूल्यों में निहित सामाजिक-आर्थिक विकास के संदर्भ में मजबूती
से मौजूद है। एएनआरएफ के साथ भारत की महत्वाकांक्षा घरेलू उपलब्धियों तक ही
सीमित नहीं है। उम्मीद है कि यह फाउंडेशन संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण
और उभरती प्रौद्योगिकियों (आईसीईटी) की पहल तथा उभरती
प्रौद्योगिकियों पर क्वाड के विशेष ध्यान जैसी वर्तमान में जारी वैज्ञानिक
साझेदारियों के लिए एक बल गुणक के रूप में काम करेगा। पूरी दुनिया बढ़ते
भू-राजनीतिक बदलावों का सामना कर रही है, जिसमें पेटेंट और शोध पत्रों की
विशाल मात्रा के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी में चीन का प्रभुत्व शामिल है।
भारत को उम्मीद है कि एएनआरएफ देश को वैश्विक तकनीकी इकोसिस्टम
में एक रणनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित करेगा। अपनी संपन्न साझेदारियों के साथ, भारत
कृत्रिम बुद्धिमत्ता, 6जी और सेमीकंडक्टर, सतत ऊर्जा
और अन्य क्षेत्रों में नवाचार को आगे बढ़ाते हुए चीन के प्रभाव को संतुलित करने
में मदद कर सकता है। एएनआरएफ को द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से भारत
की अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी को भी मजबूत करना चाहिए, ताकि भारत की वैश्विक रणनीति
में प्रौद्योगिकी कूटनीति द्वारा केंद्रीय भूमिका निभाना सुनिश्चित हो सके। इन
गठबंधनों के जरिये, भारत अपने विशाल वैज्ञानिक प्रवासी समुदाय और
प्रतिभा समूह का लाभ उठा सकता है तथा न केवल अति-महत्वपूर्ण
प्रौद्योगिकियों के विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकता है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय
वैज्ञानिक मंचों में अपनी अग्रणी भूमिका का भी विस्तार कर सकता है।
एएनआरएफ
जिन प्रमुख क्षेत्रों को लक्षित करेगा, उनमें से एक है - हरित प्रौद्योगिकी, विशेष
रूप से स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में हाइड्रोजन। पूरी दुनिया जीवाश्म ईंधन के
बदले नवीकरणीय ऊर्जा को अपना रही है, ऐसे में हाइड्रोजन भविष्य के ईंधन के
रूप में उभरा है। भारत में राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन पहले से ही शुरू हो चुका है, इस
क्षेत्र में एएनआरएफ का अनुसंधान देश को हरित ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी
देश बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारत के लिए मोदी का दृष्टिकोण केवल
अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के बारे में नहीं है - यह वैश्विक
प्रासंगिकता के प्रमुख क्षेत्रों में आगे बढ़कर नेतृत्व करने के बारे में है।
क्वांटम कंप्यूटिंग और हाइड्रोजन ऊर्जा दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें भारत, एएनआरएफ
के माध्यम से, भविष्य की तकनीकी और पर्यावरणीय क्रांतियों की
दिशा निर्धारित कर सकता है। इन चुनौतियों के लिए विज्ञान-आधारित दृष्टिकोण अपनाकर, भारत न
केवल अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करेगा, बल्कि
वैश्विक ऊर्जा संकट के लिए स्थायी समाधान भी पेश करेगा।
भारतीय
वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों और नवोन्मेषियों की
अगली पीढ़ी को बढ़ावा देने में एएनआरएफ की भूमिका, शायद इसकी सबसे दूरगामी प्रभाव
होगा। भारत लंबे समय से दुनिया की दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनियों को प्रतिभा प्रदान
करने वाला देश रहा है। भारतीय मूल के सीईओ गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और
एडोब जैसी कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं। हालाँकि, एएनआरएफ भारत
के प्रतिभा-संपन्न व्यक्तियों को घर पर ही नवाचार करने के अवसर प्रदान करते हुए, आकर्षण को
देश में स्थानांतरित करेगा। इस फाउंडेशन के माध्यम से, भारत एक
ऐसा वातावरण बना सकता है, जो घरेलू अनुसंधान और विदेशों से वैज्ञानिक प्रतिभाओं की
वापसी को प्रोत्साहित करता हो, जिससे प्रतिभा पलायन को रोकने में भी मदद
मिलेगी। मौलिक अनुसंधान में निवेश करके, अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं का निर्माण
करके और प्रतिस्पर्धी अनुदान प्रदान करके, भारत के
भीतर वैज्ञानिक प्रतिभाओं को पोषित करने के एएनआरएफ के प्रयासों का आने
वाले दशकों में फल मिलेगा।
2047 तक, जब भारत
अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा, तब तक एएनआरएफ का स्पष्ट प्रभाव
दिखाई पड़ने लगेगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति भारत का आत्मनिर्भर दृष्टिकोण
राष्ट्र को महत्वपूर्ण उभरती प्रौद्योगिकियों के वैश्विक अग्रणी देश के रूप में
बदल देगा। इसके अलावा, फाउंडेशन यह सुनिश्चित करेगा कि वैज्ञानिक
नवाचार राष्ट्रीय चेतना में गहराई से समाहित हो तथा समृद्धि और विकास के चालक के
रूप में विशाल समुदाय के साथ प्रतिध्वनित होती हो। एएनआरएफ पर मोदी का रणनीतिक
प्रयास एक ऐसे राष्ट्र का प्रतीक है, जो तकनीकों का उपभोग करने के बदले उनका
निर्माण करने तथा वैज्ञानिक ज्ञान का आयात करने के बदले अत्याधुनिक नवाचारों का
निर्यात करने की ओर आगे बढ़ रहा है। यह एक ऐसा मॉडल है, जो आर्थिक विकास को सिर्फ
पारंपरिक अर्थों में नहीं देखता है, बल्कि तकनीकी संप्रभुता को भारत के भविष्य की
कुंजी के रूप में रेखांकित करता है।
एएनआरएफ प्रधानमंत्री मोदी के साहसिक विजन का उदाहरण है, जो 21वीं सदी में भारत को वैज्ञानिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाएगा। यह भारतीय वैज्ञानिकों की पिछली उपलब्धियों और नवाचार के प्रति राष्ट्र की भविष्य की आकांक्षाओं के बीच संबंध जोड़ता है। एएनआरएफ की महत्वाकांक्षाएं खुद को महज एक संस्थान मानने से कहीं आगे बढ़कर एक ऐसी संस्था बनने की होनी चाहिए, जहां भारत के वैज्ञानिक भविष्य का निर्माण किया जाएगा, जो न सिर्फ एक टेकेड (तकनीकी दशक), बल्कि भारत और दुनिया के लिए एक तकनीकी सदी को नया स्वरुप प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और अब जय अनुसंधान मिलकर भारत को वैज्ञानिक उत्कृष्टता से जुड़े भविष्य की ओर ले जाएंगे; नवाचार, सुदृढ़ता और अग्रणी भूमिका की ऐसी विरासत स्थापित करेंगे, जिससे सुश्रुत से लेकर माधव तक तथा विश्वेश्वरैया से लेकर कलाम तक जैसे महान भारतीय वैज्ञानिक गौरवान्वित होंगे।
लेखक : शशि शेखर वेम्पति
(पूर्व सीईओ, प्रसार भारती और सह-संस्थापक, डीपटेक फॉर भारत फाउंडेशन – एआई4इंडिया.ओआरजी)